श्रीहरिकोटा, 27 अगस्त 2023 – भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के चंद्रयान-3 मिशन ने 23 अगस्त, 2023 को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक लैंडिंग करके एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की। यह भारत का दूसरा चंद्र लैंडर और रोवर है, और यह चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला दुनिया का पहला अंतरिक्ष यान है।

चंद्रयान-3 का मुख्य उद्देश्य चांद के दक्षिणी ध्रुव पर खोज करना है। इस क्षेत्र में पानी और अन्य संसाधनों के होने का अनुमान है, जो भविष्य के अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए महत्वपूर्ण हो सकते हैं।

चंद्रयान-3 का लैंडर विक्रम है, जो 2.4 टन वजनी है। यह 6 पहियों वाला रोवर प्रज्ञान को ले जा रहा था, जो 1.7 टन वजनी है। विक्रम लैंडर ने 23 अगस्त को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग की, और प्रज्ञान रोवर ने 24 अगस्त को लैंडर से रवाना होकर चंद्र सतह पर अपना अभियान शुरू कर दिया।

प्रज्ञान रोवर का लक्ष्य चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पानी के संकेतों की तलाश करना है। यह रोवर चंद्र सतह पर 5 किलोमीटर तक यात्रा करने में सक्षम है, और यह विभिन्न प्रकार के उपकरणों से लैस है।

चंद्रयान-3 मिशन के सफल होने से भारत को अंतरिक्ष अन्वेषण में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल हुई है। यह मिशन भारत की तकनीकी क्षमताओं और अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में अपनी प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है।

यहाँ चंद्रयान-3 के कुछ विशेष उल्लेखनीय पहलू हैं:

  • यह भारत का दूसरा चंद्र लैंडर और रोवर है।
  • यह चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला दुनिया का पहला अंतरिक्ष यान है।
  • यह मिशन चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पानी के संकेतों की तलाश करेगा।
  • यह मिशन भारत की तकनीकी क्षमताओं और अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में अपनी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

चंद्रयान-3 मिशन का भारत के लिए महत्वपूर्ण महत्व है। यह मिशन भारत को अंतरिक्ष अन्वेषण में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करने में मदद करेगा, और यह भारत की तकनीकी क्षमताओं और अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में अपनी प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है।

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